महान दार्शनिक देशभक्त श्री राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit Biography)

स्व. श्री राजीव दीक्षित जी (Rajiv dixit biography ) को हम सभी महान क्रन्तिकारी, वैज्ञानिक ,दार्शनिक , आयुर्वेद के ज्ञाता के रूप में जानते हैं

श्री राजीव दीक्षित जी का परिचय (introduction Of Sh. Rajiv Dixit Ji)

Name
स्व. श्री राजीव दीक्षित (Rajiv Dixit)
Birthdate
गुरुवार १४ गते , चतुर्दशी , मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष , विक्रम सम्वत २०२४
Birthdate (English)
November 30, 1967
Birthplace
अलीगढ उत्तर प्रदेश (भारत) Aligarh, Uttar Pradesh
Mother
श्रीमती मिथिलेश कुमारी
Father
श्री राधेश्याम दीक्षित
Education
M.Tech From IIT Kanpur
Popularity
स्वदेशी के प्रणेता, महान क्रांतिकारी, दार्शनिक
Organization and Position
संस्थापक- आजादी बचाओ आंदोलन
राष्ट्रीय महासचिव - भारत स्वाभिमान ट्रस्ट
Marital Status
स्वदेशी के प्रणेता, महान क्रांतिकारी, दार्शनिक
Death
९ गते कृष्ण पक्ष, नवमी, मार्गशीर्ष २०६७ विक्रम सम्वत (30 November 2010)

भाई राजीव जी का शुरुआती जीवन

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 30 नवंबर 1967 को राजीव दीक्षित जी(Rajiv Dixit) का जन्म नाह ग्राम में हुआl. यह उत्तर प्रदेश के अलीगढ जनपद में स्थित है . उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने जिले से ही की .इसके बाद इलाहाबाद से बीटेक की  शिक्षा ग्रहण की तथा आईआईटी कानपुर से  बीटेक पूरा किया उन्होंने   सीएसआईआर भारत तथा फ्रांस के टेलीकम्युनिकेशन सेंटर में भी काम किया

उसके बाद कहा जाता है कि उन्होंने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के साथ भी काम किया उनकी प्रतिभाओं को देखते हुए सीएसआईआर(CSIR) मैं कुछ परियोजनाओं में काम करने का वह विदेशों में शोध पत्र पढ़ने का मौका मिला .

भाई राजीव जी के आंदोलन की शुरुआत (rajiv dixit aandolan)

तत्पश्चात उस समय भोपाल गैस कांड से विचलित होकर उन्होंने संकल्प लिया,और वह उसी दिन से विदेशी कंपनियों के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत करने लगे. भोपाल गैस कांड के बाद उन्होंने संकल्प ले लिया था कि वह अपना जीवन देश के हित में लगा देंगे. फिर यहां से शुरुआत हुई असली राजीव दीक्षित की फिर उन्होंने भारत की मूलभूत समस्याओं का अध्ययन करना शुरू किया.

 तथा क्रांतिकारियों के बारे में जानना शुरू किया हुए भगत सिंह(bhagat singh biography), उधम सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों से बहुत ज्यादा प्रभावित हुए. और संगठन बना लिया आजादी बचाओ आंदोलन. फिर राजीव दीक्षित जी ने भारत के गुलामी के दौर को पढ़ना शुरू किया तथा अनेक ऐतिहासिक पत्रों को और भारत की असल समस्याएं जहां से शुरुआत हुई थी.

उनको खोजना शुरू किया, कहा जाता है कि राजीव दीक्षित जी ने इंग्लैंड से भी कई गुप्त पत्रों को निकलवाया, और उनको जनता के सामने रखा और अंग्रेजों की सच्चाई बताना शुरू किया. फिर राजीव दीक्षित जी का जीवन का एक ही मकसद बन गया स्वदेशी भारत. जिसमें उन्हें लोगों को जोड़ना गांव-गांव,शहर-शहर जाकर के जन जागरूकता अभियान व्याख्यान शुरू किए. बताया जाता है कि राजीव दीक्षित जी ने अपने जीवन काल में करीब करीब 30 हजार से ज्यादा व्याख्यान दिए.

 जिनमें प्रमुख मुद्दे रहे-

  • भारत गुलाम क्यों हुआ.
  • भारत अभी भी गुलाम है.
  • एलोपैथिक की सच्चाई.
  • स्वदेशी को बढ़ावा देना.
  • रसायन मुक्त खेती.
  • भारतीय राजनीति.

भाई राजीव जी के आंदोलन का विस्तार (Rajiv Dixit Revolution)

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अब राजीव दीक्षित जी(Rajiv Dixit ji) का संगठन धीरे-धीरे बड़ा हो रहा था, और जन जन की आवाज बन रहा था हर कोई राजीव दीक्षित को सुनता तो वह मंत्रमुग्ध हो जाता. उनकी वाणी की मधुरता कोमलता और जिस प्रकार से वह तथ्यों को सामने रखते थे, उनकी विद्वता शायद यही कारण थे जिसकी वजह से राजीव दीक्षित जी बिना सोशल मीडिया के भी बहुत ज्यादा प्रसारित हो रहे थे .

इसी बीच साल 2009 में आ चुका था, राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit biography)एक बड़े मकसद की तरफ आगे बढ़ रहे थे, तभी उनकी मुलाकात होती है बाबा रामदेव से. राजीव दीक्षित जी को लगता था कि स्वामी रामदेव भी स्वदेशी का काम कर रहे हैं,तो क्यों ना उनके साथ जुड़ कर के एक साथ होकर के इस मकसद को इस मुहिम को एक साथ आगे बढ़ाया जाए.

अब शुरुआत होती है भारत स्वाभिमान नामक आंदोलन की जिसमें राजीव भाई को राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व दिया गया, और पूरे देश भर में घूम घूम कर के संगठन को और मजबूती देने का काम दिया गया, जिसको राजीव दीक्षित जी बड़ी बखूबी से निभा रहे थे, और साथ ही साथ अब राजीव दीक्षित जी (Rajiv Dixit ji) के व्याख्यान टेलीविजन पर भी आने लगे.

आस्था चैनल से राजीव दीक्षित जी के व्याख्यान जिसमें वह बाबा रामदेव के साथ मंच साझा करते हुए दिखाई पड़ते थे. अब लोग उन्हें टेलीविजन पर सुनकर मंत्रमुग्ध हो रहे थे. आंदोलन बहुत अच्छे से चल रहा था और राजीव भाई और भारत स्वाभिमान आंदोलन बहुत बखूबी अपना कार्य कर रहा था. और लोग जुड़ रहे थे मकसद सिर्फ एक था.

  • स्वदेशी भारत स्वाभिमानी भारत(Swadesi Bharat)
  • व्यवस्था परिवर्तन

राजीव दीक्षित जी की मृत्यु और रहस्य (Rajiv Dixit Death)

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  साल 2010 आ चुका था पूरा साल लगभग बीतने वाला था, नवंबर का महीना चल रहा था. भारत स्वाभिमान के इस आंदोलन के तहत राजीव भाई लोगों को जोड़ने तथा अपने व्याख्यान के सिलसिले में छत्तीसगढ़ के भिलाई क्षेत्र में थे,अपना व्याख्यान पूर्ण करके वह वापस आ रहे थे तभी रास्ते में बताया जाता है.

कि उन्हें कुछ स्वास्थ्य खराब होने के लक्षण दिखाई पड़े थे. उसके बाद उन्हें प्राथमिक चिकित्सा के लिए हॉस्पिटल ले जाने के लिए बोला गया लेकिन, राजीव भाई जाने के लिए तैयार नहीं हुए.

फिर अंततः राजीव दीक्षित जी(Rajiv Dixit) को भिलाई  को अपोलो अस्पताल(Apollo Hospital bhilai) ले जाया गया. तथा वहां पर उनका प्राथमिक उपचार शुरू हुआ कहा जाता है, कि इस दौरान उनकी बात बाबा रामदेव से फ़ोन पर हुई. और उन्होंने राजीव भाई से अस्पताल जाने का निवेदन किया और डॉक्टरों से भी बात की और राजीव भाई के उपचार के लिए गए, लेकिन  रिकॉर्ड के अनुसार रात को राजीव भाई हम सबके बीच नहीं रहे लेकिन उनकी मृत्यु एक रहस्य बन गई .(Rajiv dixit death) 

उनका पोस्टमार्टम नहीं करवाया गया और ना ही उनके पार्थिव शरीर को उनके गृह जनपद अलीगढ़ ले जाया गया. जबकि आनन-फानन में उनके पार्थिव शरीर को हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ(Patanjali Wellness) ले जाया गया, वहां पर ही उनके परिजनों को बुलाकर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. राजीव भाई की एक स्वर्णिम जीवन की यात्रा यहीं पर समाप्त हुई.

विचार कभी मरते नहीं -राजीव दीक्षित जी

और अब शुरू हो चुका था विवादों का दौर, राजीव भाई(rajiv bhai) के समर्थकों का एक गुट उनकी मृत्यु को षड्यंत्र बता रहा था. और उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहा था, लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ सारी चीजें कम होती गई और, राजीव भाई की मृत्यु का रहस्य रहस्य ही रह गया और आज भी रहस्य ही है.

तब से लेकर आज तक राजीव भाई के विचार और राजीव दीक्षित जी (rajiv dixit )हम सबके बीच में विचारों के माध्यम से जीवित हैं, रहेंगे हमेशा, और उनका स्वदेशी का आंदोलन अब हम सबकी जिम्मेदारी है कि भारत को किस तरीके से स्वदेशी के आधार पर खड़ा करना  है. 

राजीव दीक्षित जी की मृत्यु पर आये हुए कुछ शोक सन्देश (Some condolence messages on the death of Rajiv Dixit)

राजीव दीक्षित जी की किताबें -(Rajiv Dixit Books)

भाई श्री राजीव दीक्षित जी(Rajiv Dixit Books) ने अपने जीवनकाल में बहुत सारा शोध किया, और उन पर आधारित कुछ पुस्तके भी लिखी, जिन्हे अगर कोई पढ़ ले तो निश्चित ही उसके जीवन में बदलाव और राष्ट्र के प्रति सेवा और समर्पण का भाव अवश्य आएगा.

हमने सभी राजीव वादियों के प्रयास से यहाँ पर ई किताबें उपलब्ध कराने की कोशिस की है जन जन तक पहुंचाने हेतु.

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राजीव दीक्षित के नुस्खे- rajiv dixit ke upay

राजीव दीक्षित जी (rajiv dixit ke upay) ने अपने जीवन काल में आयुर्वेद और भारतीय चिकित्सा पर बहुत गहन अध्यन किया और लोगो को बताया कि कैसे हम लोग अपने घर की रसोई में उपलब्ध चीजों से छोटी छोटी स्वास्थ समस्याओ को ठीक कर सकते हैं.

भारत माता की जय - राजीव भाई दीक्षित जी अमर रहें

FAQ's

क्या राजीव दीक्षित जी की शादी हुई थी ?
Was Rajiv Dixit married?

नहीं, राजीव दीक्षित जी अविवाहित थे.

No Rajiv Dixit was unmarried.

राजीव दीक्षित कौन थे ?
Who was Rajiv Dixit?

राजीव दीक्षित स्वतंत्र भारत के बहुत बड़े क्रन्तिकारी, वैज्ञानिक ,स्वदेसी के प्रणेता हुए. शायद आज वे जिन्दा होते तो भारत की दशा कुछ अलग होती।

राजीव दीक्षित जी को किसने मारा ?
Who killed Rajiv Dixit?

राजीव दीक्षित जी की मृत्यु एक रहस्य है जो अभी तक अनसुलझा है. कुछ लोग कहते है की उन्हें जहर दिया गया. कुछ कहते हैं की हृदयघात से उनकी मृत्यु हुई।
राजीव जी की जीवनी( rajiv dixit biography) पढ़ने के लिए लेख पढ़े

Rajiv Dixit’s death is a mystery which is still unsolved. Some people say that he was poisoned. Some say that he died of a heart attack.

राजीव दीक्षित की मृत्यु कब हुई ?
When did Rajiv Dixit die?

राजीव दीक्षित जी की मृत्यु ३० नवंबर २०१० को छत्तीसगढ़ स्थित भिलाई के अपोलो अस्पताल में हुआ.

Rajiv Dixit died on 30 November 2010 at Apollo Hospital in Bhilai, Chhattisgarh.

राजीव दीक्षित जी की किताबें ?
Rajiv Dixit Books?

राजीव दीक्षित जी ने अपने जीवन काल में ३०००० से ज्यादा महत्वपूर्ण व्याख्यान दिए और कई महत्वपूर्ण पुस्तकें भी लिखी।

जिनमे कुछ प्रमुख थी.

  • रोगी स्वयं चिकित्सक
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मकड़जाल

और भी बहुत पुस्तकें.

Rajiv Dixit ji gave more than 30000 important lectures in his lifetime and also wrote many important books.

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